Wednesday, July 15, 2009

क्या किया जाए........

हो रहें हैं लोग पागल
अब क्या किया जाए
चलना-फिरना ,डूब मरना
हो गयी है फितरत या
आज का दौर ही है
क्या किया जाए
रोना-धोना या फ़िर सिसकना
हुई पुरानी या
फ़िर नई बात
क्या किया जाए .................

1 comment:

  1. इस छोटी सी कविता ने सोचने पर मजबूर कर दिया।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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