हम -तुम यानि की सुख-दुःख -एक संघर्ष -एक चुनौती और एक संवेदना का चरमोत्कर्ष .
Thursday, July 9, 2009
मेरी सूनी आंखों में..
मेरी सूनी आंखों में कभी कोई सपना भी आएगा क्या कभी मेरे जीवन में सपनों का सौदागर भी आएगा चार दिन की जिन्दगी में फ़िर कोई इसकी अवधि भी बढाने आएगा या फ़िर इसी तरह मैं सूने सपनों की तलाश करती सो जाउंगी सदा के लिए .
बहुत मार्मिक रचना. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
चार दिन की जिन्दगी में
ReplyDeleteफ़िर कोई इसकी अवधि भी बढाने आएगा
या फ़िर इसी तरह मैं
सूने सपनों की तलाश करती
सो जाउंगी सदा के लिए .
bahut bhavuk vichaar