जागो एक बार फ़िर से
न झुको एक बार फ़िर से
आ जायेंगे वो भी हट कर
जो जुडोगे एक बार फ़िर से .
सो गये हैं लोग ,सदा कौन करे
मर गयें हैं लोग दुआ कौन करे
अस्मत ही न रही यह सोचकर
जीने की चाह कोई क्यूँ करे.
सोच कर देखो तुम्हे कोई
कहता रहा ,मिलता रहा
जीत गये तो वाह-वाह
हार गये तो जीवन सड़ता रहा.
पीर से पर्वत का वास्ता क्यूँ है
जीत से और हार से वास्ता क्यूँ है
क्यूँ समुद्र और चाँद से तुलना होती है,
तुलना करना ही जीवन की नियति क्यूँ है.
न झुको एक बार फ़िर से
आ जायेंगे वो भी हट कर
जो जुडोगे एक बार फ़िर से .
सो गये हैं लोग ,सदा कौन करे
मर गयें हैं लोग दुआ कौन करे
अस्मत ही न रही यह सोचकर
जीने की चाह कोई क्यूँ करे.
सोच कर देखो तुम्हे कोई
कहता रहा ,मिलता रहा
जीत गये तो वाह-वाह
हार गये तो जीवन सड़ता रहा.
पीर से पर्वत का वास्ता क्यूँ है
जीत से और हार से वास्ता क्यूँ है
क्यूँ समुद्र और चाँद से तुलना होती है,
तुलना करना ही जीवन की नियति क्यूँ है.